सैन फ्रांसिस्को ओपनएआई के पूर्व शोधकर्ता और भारतीय-अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक सुचिर बालाजी (26) को उनके सैन फ्रांसिस्को स्थित अपार्टमेंट में मृत पाया गया। पुलिस ने जांच के बाद उनकी मौत को आत्महत्या करार दिया है।
पुलिस की रिपोर्ट
सैन फ्रांसिस्को पुलिस विभाग (एसएफपीडी) के अनुसार, सुचिर बालाजी का शव 26 नवंबर को दोपहर 1:15 बजे बरामद किया गया। स्वास्थ्य जांच के अनुरोध पर उनके अपार्टमेंट का दरवाजा खोला गया, लेकिन कोई गड़बड़ी के संकेत नहीं मिले। सैन फ्रांसिस्को मेडिकल परीक्षक कार्यालय ने मौत के कारण को आत्महत्या बताया।
सुचिर बालाजी चर्चा में क्यों आये थे
सुचिर बालाजी, एक उभरते हुए कंप्यूटर वैज्ञानिक थे उन्होंने नवंबर 2020 से अगस्त 2024 तक ओपनएआई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से कंप्यूटर साइंस में स्नातक किया था।ओपनएआई में उन्होंने GPT-4 के प्री-ट्रेनिंग, ChatGPT के लिए पोस्ट-ट्रेनिंग, और रीजनिंग मॉडल्स पर काम किया।बालाजी अगस्त 2024 में ओपनएआई छोड़ने के बाद जनरेटिव एआई के नैतिक और कानूनी पहलुओं पर सक्रीय रूप से चर्चा करने लगे थे
कौन थे सुचिर बालाजी और क्या करते थे ?
कंपनी पर आरोप लगाए थे
ओपनएआई के प्रवक्ता ने कहा, “इस दुखद समाचार को सुनकर हम हैरान हैं। इस मुश्किल घड़ी में हमारी सहानुभूति सुचिर बालाजी के परिवार के साथ है।” अक्टूबर में बालाजी ने एक पोस्ट में उल्लेख किया था, “मैंने ओपनएआई में लगभग 4 साल बिताए, जिसमें से 1.5 साल चैटजीपीटी पर काम किया। आरंभ में मुझे कॉपीराइट और फेयर यूज जैसे मुद्दों की अधिक जानकारी नहीं थी। लेकिन जेनएआई संबंधित कंपनियों के कानूनी मामलों का निरीक्षण करने के बाद, इन मुद्दों को गहराई से समझने की इच्छा जागृत हुई।” बालाजी ने आगे बताया, “जब मैंने इन मुद्दों को विस्तार से देखा, तो मुझे लगा कि फेयर यूज़ कई जेनएआई उत्पादों के लिए एक कमजोर सुरक्षा प्रतीत होता है। इसका कारण यह है कि ये उत्पाद उन डेटा विकल्पों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिन पर उन्हें प्रशिक्षित किया गया है।”
ओपनएआई और कॉपीराइट विवाद
बालाजी की मृत्यु ऐसे समय में हुई है जब ओपनएआई और उसके भागीदार Microsoft पर कॉपीराइट उल्लंघन के कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं।बालाजी ने अक्टूबर 2024 में न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में जनरेटिव एआई के नैतिक और कानूनी मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त की थी।उन्होंने ओपनएआई पर अपने एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए कॉपीराइट सामग्री के कथित दुरुपयोग का आरोप लगाया।एक्स (ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में, उन्होंने उचित उपयोग और कॉपीराइट के महत्व पर प्रकाश डाला।
कॉपीराइट और उचित उपयोग पर विचार
बालाजी ने लिखा था, “शुरुआत में मुझे कॉपीराइट और उचित उपयोग की गहराई का अंदाजा नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे मैंने जनरेटिव एआई कंपनियों पर दायर मुकदमों को समझा, मुझे एहसास हुआ कि ‘उचित उपयोग’ का बचाव कमजोर है।” उन्होंने मशीन लर्निंग शोधकर्ताओं से कानूनी और नैतिक पहलुओं को बेहतर तरीके से समझने का आग्रह किया।
ओपनएआई के लिए उनके आरोप और समाज के लिए सन्देश
सुचिर बालाजी ने कहा था कि कॉपीराइट डेटा का उपयोग एआई मॉडल को उस डेटा से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाता है, जिस पर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। सुचिर बालाजी जोर देकर कहा कि यह समस्या केवल ओपनएआई की नहीं, बल्कि सभी जनरेटिव एआई तकनीकों के लिए चुनौती है । बालाजी ने अपने विचारों के जरिए जनरेटिव एआई के भविष्य और उसके समाज पर प्रभाव के प्रति जागरूकता फैलाई।उनकी मृत्यु ने एआई विकास और इसके नैतिक पहलुओं पर एक बार फिर ध्यान केंद्रित किया है। इस घटना ने न केवल टेक इंडस्ट्री में शोक की लहर फैलाई है, बल्कि एआई तकनीक के उपयोग और नैतिकता पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
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