बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की प्रारंभिक परीक्षा में कथित अनियमितताओं का मामला अब पटना हाई कोर्ट तक पहुंच गया है। प्रशांत किशोर के आमरण अनशन के बीच उनकी पार्टी, जन सुराज, ने परीक्षा रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इस याचिका पर सुनवाई 15 जनवरी को निर्धारित की गई है।
BPSC 70th परीक्षा में गड़बड़ियों का आरोप
जन सुराज के अधिवक्ता प्रणव कुमार ने बताया कि याचिका में 13 दिसंबर को आयोजित BPSC की संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में हुई अनियमितताओं को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि कई केंद्रों पर परीक्षा के दौरान मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति दी गई, जबकि जैमर जैसी बुनियादी सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। प्रणव कुमार के मुताबिक, परीक्षा के दौरान कुछ केंद्रों पर परीक्षार्थियों ने सामूहिक रूप से प्रश्नपत्र हल किए, जिससे परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं। अधिवक्ता ने दावा किया कि यह समस्या सिर्फ बापू परीक्षा केंद्र तक सीमित नहीं थी, बल्कि अन्य केंद्रों पर भी इसी तरह की गड़बड़ियां देखी गईं।
पांच लाख परीक्षार्थियों ने दी BPSC 70th परीक्षा
राज्यभर के 900 से अधिक केंद्रों पर लगभग पांच लाख अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में भाग लिया। हालांकि, बापू परीक्षा केंद्र में प्रश्नपत्र लीक होने के आरोपों के चलते 12,000 अभ्यर्थियों के लिए पुन: परीक्षा आयोजित की गई। इस केंद्र पर कई परीक्षार्थियों ने 13 दिसंबर की परीक्षा का बहिष्कार किया था।
पुन: परीक्षा का विरोध
BPSC द्वारा पुन: परीक्षा आयोजित किए जाने पर अन्य अभ्यर्थियों ने इसे पक्षपातपूर्ण करार दिया और समान अवसर से वंचित होने की शिकायत की। इन्हीं मुद्दों को उठाते हुए प्रशांत किशोर ने 2 जनवरी को आमरण अनशन शुरू किया। हालांकि, डॉक्टरों की सलाह के बावजूद उन्होंने अनशन तोड़ने से इनकार कर दिया है।
जन सुराज का आग्रह
जन सुराज पार्टी का कहना है कि यदि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छात्रों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत कर इस विवाद का समाधान निकालते हैं, तो प्रशांत किशोर अनशन समाप्त करने पर विचार कर सकते हैं।