पुरी जगन्नाथ मंदिर: रहस्य, इतिहास और आस्था

भगवान जगन्नाथ की अद्भुत लीला और 12वीं शताब्दी का ये प्राचीन मंदिर कई रहस्यों को समेटे हुए है!

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राजा इंद्रद्युम्न का स्वप्न 

 भगवान विष्णु ने स्वप्न में आदेश दिया: "समुद्र तट पर मिलेगा दिव्य काष्ठ-संदूक!" 5 बार बना मंदिर, 5 बार समुद्र ने तोड़ा! 

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अधूरी मूर्तियों का रहस्य 

 कारीगर ने कहा: "12 दिन तक न खोलें दरवाजा!" 11वें दिन खोला गया, मिलीं बिना हाथ-पैर वाली मूर्तियाँ!

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ब्रह्म पदार्थ: मूर्तियों की जीवन ऊर्जा 

 नबकलेबारा में पुरानी मूर्तियों से नई में गुप्त रूप से स्थानांतरित किया जाता है।  मान्यता: इसे देखने वाला तुरंत मर जाता है!

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अद्भुत दैनिक अनुष्ठान 

 मंगल आरती: सुबह 4 बजे देवताओं को जगाना।  भोग: 56 व्यंजनों का महाप्रसाद!  पहुड़ा: रात को सुलाने की विधि।

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लाखों भक्तों की आस्था 

– 3 विशाल रथ: जगन्नाथ (45 फीट ऊँचा), बलभद्र, सुभद्रा – 2 किमी की यात्रा गुंडिचा मंदिर तक।

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विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया! 

– झंडा हवा के विपरीत लहराता है। – मुख्य शिखर की कोई छाया नहीं बनती!

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छुआछूत का अंत 

प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ दिन एक “शूद्र” संत (वास्तव में परमात्मा) ने मंदिर में प्रवेश करना चाहा। पुजारियों ने उन्हें धक्का देकर बाहर निकाल दिया। इसके तुरंत बाद मुख्य पुजारी को भयंकर कुष्ठ रोग हो गया। 

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कलिंग शैली की अद्वितीय वास्तुकला 

214 फीट ऊँचा शिखर 4 खंड: विमान, जगमोहन, नाटमंडिर, भोगमंडप।

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यात्रा की जानकारी 

समय: सुबह 5:30 AM से रात 10 PM। नियम: गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित।

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