Air India Plane Crash: ब्लैक बॉक्स खोलेगा हादसे का सच, जानिए क्या है यह डिवाइस और कैसे करता है काम

Air India Plane Crash Black Box

अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई एयर इंडिया की फ्लाइट उड़ान भरते ही एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गई। यह विमान उड़ान के कुछ ही पलों बाद एक इमारत से जा टकराया, जिसमें अब तक 265 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। यह हादसा भारत की एविएशन हिस्ट्री में एक और बड़ा काला अध्याय बन गया है। अब इस दुर्घटना की जांच शुरू हो चुकी है, और सबसे बड़ा सुराग माना जा रहा है – ब्लैक बॉक्स।

Air India Plane Crash black box

क्या होता है ब्लैक बॉक्स?

ब्लैक बॉक्स, जिसे तकनीकी रूप से फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) कहा जाता है, एक ऐसा उपकरण होता है जो विमान से जुड़ी हर तकनीकी और ऑडियो जानकारी रिकॉर्ड करता है। यह एयरक्राफ्ट के पीछे के हिस्से में इस तरह लगाया जाता है कि दुर्घटना के दौरान यह ज्यादा सुरक्षित रह सके।

हालांकि इसका नाम ‘ब्लैक बॉक्स’ है, लेकिन यह असल में नारंगी रंग का होता है ताकि मलबे के बीच आसानी से पहचान में आ सके। इसे बेहद मजबूत मटेरियल से बनाया जाता है ताकि दुर्घटना के बाद भी इसमें रिकॉर्ड किया गया डेटा सुरक्षित रह सके।

हादसे की जांच में कैसे करता है मदद?

जब कोई विमान हादसे का शिकार होता है, तो उसके सही कारणों का पता लगाना बेहद जरूरी होता है। यहीं ब्लैक बॉक्स की भूमिका अहम हो जाती है। इसमें रिकॉर्ड हुई तकनीकी और ऑडियो जानकारी के जरिए जांचकर्ता यह समझ सकते हैं कि फ्लाइट के दौरान क्या गलत हुआ, कौन से सिस्टम फेल हुए, और पायलट व को-पायलट की क्या प्रतिक्रिया रही।

FDR में दर्ज आंकड़े जैसे विमान की गति, ऊंचाई, दिशा, इंजन की परफॉर्मेंस और फ्लाइट कंट्रोल इनपुट्स के आधार पर मैकेनिकल फेल्योर की संभावना की जांच की जाती है। वहीं, CVR में पायलटों की बातचीत, रेडियो कम्युनिकेशन और कॉकपिट के अंदर की आवाजें जैसे अलार्म या स्विच की साउंड से मानसिक दबाव और तत्काल फैसलों को समझा जा सकता है।

ब्लैक बॉक्स की विशेषताएं

ब्लैक बॉक्स को डिज़ाइन करते समय इसकी ताकत और टिकाऊपन को खास ध्यान में रखा जाता है। यह 1,100 डिग्री सेल्सियस तक की आग में भी डेटा सुरक्षित रख सकता है और समुद्र की गहराई में 30 दिन तक सिग्नल भेज सकता है। यह डिवाइस पूरी तरह से वाटरप्रूफ और शॉकप्रूफ होता है।

FDR आमतौर पर 25 घंटे तक का तकनीकी डेटा रिकॉर्ड कर सकता है, जबकि CVR लगभग 2 घंटे का ऑडियो स्टोर करने की क्षमता रखता है। यह सारी जानकारी खास एनालिसिस सॉफ्टवेयर की मदद से एक्सपर्ट्स पढ़ते हैं, ताकि यह समझा जा सके कि दुर्घटना से पहले क्या-क्या हुआ।

क्यों अहम होता है ब्लैक बॉक्स?

ब्लैक बॉक्स केवल दुर्घटना के बाद जांच का जरिया नहीं होता, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने का सबसे बड़ा हथियार भी है। जब इसके डेटा का विश्लेषण किया जाता है, तो कई बार ऐसी गलतियां या खामियां सामने आती हैं जिन्हें सुधार कर आगे की उड़ानों को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सकता है।

इसलिए, जैसे ही कोई बड़ा एयर क्रैश होता है, सबसे पहला सवाल होता है—ब्लैक बॉक्स मिला या नहीं? क्योंकि इसके बिना हादसे की असली वजहों तक पहुंच पाना लगभग नामुमकिन होता है।

हादसे के बाद अब सबकी नजर ब्लैक बॉक्स पर

Air India के इस दर्दनाक हादसे के बाद अब पूरा ध्यान उस ब्लैक बॉक्स पर टिका है, जो इस प्लेन के पिछले हिस्से में था। बचाव दल उसे खोजने में जुटा है और जैसे ही वह मिलेगा, जांचकर्ता हादसे के पीछे की वजहों को परत-दर-परत सामने लाएंगे। उम्मीद की जा रही है कि ब्लैक बॉक्स में दर्ज रिकॉर्डिंग्स इस भयावह हादसे के पीछे की सच्चाई को उजागर करेंगी।

यह हादसा जितना दुखद है, उतना ही जरूरी है इससे सबक लेना। ब्लैक बॉक्स हमें सिर्फ एक दुर्घटना की जांच नहीं सिखाता, बल्कि आने वाली सैकड़ों उड़ानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का जरिया बनता है।

Also Read:

अहमदाबाद में एयर इंडिया विमान हादसा: टेकऑफ के चंद मिनट बाद गिरी फ्लाइट AI‑171, 242 लोगों की मौत की आशंका