BPSC द्वारा आयोजित 13 दिसंबर 2024 को 70वीं संयुक्त परीक्षा में हुए अप्रत्याशित घटनाक्रम ने पूरे राज्य में हंगामा खड़ा कर दिया। पटना स्थित बापू परीक्षा केंद्र पर परीक्षा प्रारंभ होने के कुछ ही समय बाद प्रश्न पत्र लीक होने के आरोपों ने विवाद को जन्म दिया। छात्रों का दावा था कि प्रश्न पत्र के वितरण में विलंब जानबूझकर किया गया, और इसी दौरान पेपर लीक की घटना भी घटित हुई। हालांकि, BPSC ने इन आरोपों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि प्रश्न पत्रों की कमी के चलते अन्य कक्षों से पेपर मंगाने में विलंब हुआ।
इन घटनाओं के मद्देनज़र अभ्यर्थियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किए, जिसके दबाव में आयोग ने संबंधित परीक्षा केंद्र की परीक्षा को रद्द कर दिया। अब आयोग ने पुनः परीक्षा की तिथि घोषित कर दी है, जो 4 जनवरी 2024 को आयोजित की जाएगी।
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Toggleअभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन तेज करने की दी चेतावनी
परीक्षा रद्द करने और समूची प्रक्रिया को दोबारा आयोजित करने की मांग को लेकर बिहार में अभ्यर्थियों का आंदोलन निरंतर उग्र होता जा रहा है। पटना के गर्दनीबाग में हजारों अभ्यर्थी बीते दो दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्र नेता दिलीप ने आरोप लगाया है कि केवल एक परीक्षा केंद्र की परीक्षा को रद्द करना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने दावा किया कि राज्य के सभी परीक्षा केंद्रों पर अनियमितताएँ हुई हैं, जो आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं।
दिलीप के अनुसार, “पूरी परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि परीक्षा को पूरी तरह से रद्द कर पुनः आयोजन किया जाए। केवल बापू परीक्षा केंद्र को लक्ष्य बनाना आयोग की अक्षमता को दर्शाता है।”
प्रदर्शनकारियों की मांगें और BPSC पर आरोप
प्रदर्शनकारी न केवल परीक्षा के दोबारा आयोजन की मांग कर रहे हैं, बल्कि BPSC चेयरमैन से तत्काल इस्तीफे की मांग भी कर रहे हैं। उनका आरोप है कि बापू सभागार में 12,000 अभ्यर्थियों की परीक्षा रद्द करना न्यायसंगत नहीं है। यह पूरे जिले की परीक्षा स्थगित करने के समान है और इससे परीक्षा परिणामों की निष्पक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस निर्णय ने न केवल अभ्यर्थियों की मेहनत को विफल किया है, बल्कि BPSC की विश्वसनीयता को भी संदेहास्पद बना दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आयोग ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।
इस घटनाक्रम ने बिहार की परीक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को पुनः उजागर किया है। अब देखना होगा कि BPSC इस संकट को किस प्रकार हल करता है और अभ्यर्थियों की मांगों के प्रति कितना संवेदनशील रहता है।
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