Devendra Fadnavis बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री: तीसरी बार सीएम बनने के साथ नई चुनौतियां सामने

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Devendra Fadnavis

महाराष्ट्र में राजनीतिक गहमागहमी के बीच Devendra Fadnavis ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। गुरुवार को मुंबई के आज़ाद मैदान में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में Devendra Fadnavis के साथ शिवसेना (शिंदे गुट) के एकनाथ शिंदे और एनसीपी (अजित पवार गुट) के अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी समेत एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम भी मौजूद थे।

शपथ ग्रहण के बाद क्या बोले फडणवीस?

शपथ लेने के बाद Devendra Fadnavis ने कहा कि सरकार की दिशा और नीति नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा, “हम सबको साथ लेकर चलने वाली सरकार देंगे। लाडली बहन योजना के तहत फिलहाल 1,500 रुपये दिए जा रहे हैं, जिसे बढ़ाकर 2,100 रुपये किया जाएगा। लेकिन यह तभी संभव होगा जब राज्य के आर्थिक स्रोत मजबूत होंगे।”

इसके साथ ही फडणवीस ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि आने वाले दिनों में सरकार का उद्देश्य जनता की समस्याओं का समाधान निकालना और महाराष्ट्र को विकास की राह पर आगे ले जाना होगा।

महायुति गठबंधन: सत्ता का नया समीकरण

महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के गठबंधन महायुति ने विधानसभा चुनावों में कुल 230 सीटें जीतकर बहुमत का आंकड़ा पार किया। भाजपा ने 132 सीटें, शिवसेना ने 57 और एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को सिर्फ 46 सीटें मिलीं।

नई सरकार के सामने बड़ी चुनौतियां

1. गुड गवर्नेंस और विकास कार्यों की चुनौती

Devendra Fadnavis का पहला कार्यकाल गुड गवर्नेंस के लिए जाना जाता है। जलयुक्त शिविर योजना, मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे और मुंबई मेट्रो विस्तार जैसी योजनाओं ने उनकी लोकप्रियता बढ़ाई। लेकिन तीसरे कार्यकाल में उन्हें राज्य की बिगड़ती आर्थिक स्थिति से निपटना होगा। महाराष्ट्र का कर्ज़ बढ़कर 7.82 लाख करोड़ रुपये हो चुका है, वहीं राजस्व घटने और पूंजीगत खर्चों में कमी के कारण राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर हो रही है।

2. मराठा आरक्षण का पेच

मराठा समुदाय लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा है। मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में आंदोलन को मजबूती मिली है। जरांगे ने चुनावों से पहले भाजपा को चेतावनी दी थी कि यदि मराठा आरक्षण लागू नहीं किया गया तो वे अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेंगे। हालांकि एकनाथ शिंदे के प्रयासों से यह विवाद फिलहाल ठंडा पड़ा है, लेकिन ओबीसी समुदाय में असंतोष बरकरार है। ओबीसी समुदाय को डर है कि मराठा आरक्षण उनकी हिस्सेदारी कम कर सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अदालत का फैसला आने तक यह मुद्दा उलझा रहेगा, जिससे सरकार को राहत मिल सकती है। लेकिन दोनों समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखना फडणवीस सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

3. चुनावी वादों को पूरा करने का दबाव

लाडली बहन योजना के तहत महिलाओं को 1,500 रुपये से 2,100 रुपये देने का वादा किया गया है। इसके अलावा किसानों के कर्ज माफी और अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर भी भारी खर्च होना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन योजनाओं से राज्य पर 90,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। ऐसे में सरकार को कल्याणकारी योजनाओं और वित्तीय अनुशासन के बीच संतुलन साधना होगा।

शिंदे और अजित पवार का रोल

एकनाथ शिंदे और अजित पवार दोनों ही मराठा समुदाय से आते हैं, जिससे सरकार के भीतर संतुलन बना रहेगा। अजित पवार महाराष्ट्र के इतिहास में सबसे ज्यादा बार डिप्टी सीएम बनने वाले नेता बन गए हैं। यह छठी बार है जब उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। शिंदे के लिए भी यह नया अनुभव होगा, क्योंकि वह मुख्यमंत्री से डिप्टी सीएम बनने वाले पहले नेता हैं।

नई सरकार की प्राथमिकताएं

1. महिला कल्याण योजनाएं

Devendra Fadnavis सरकार की लाडली बहन योजना का विस्तार मुख्य एजेंडा होगा। इससे महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी और उनकी स्थिति सशक्त होगी।

2. बेरोजगारी और एफडीआई संकट

राज्य में बेरोजगारी दर बढ़ रही है और कई परियोजनाएं गुजरात शिफ्ट हो चुकी हैं। एफडीआई में गिरावट के चलते सरकार को नए निवेश लाने और उद्योगों को प्रोत्साहित करने की जरूरत होगी।

3. कृषि क्षेत्र में सुधार

किसानों की आय घटने के कारण उनमें असंतोष है। सरकार को कृषि सुधारों पर विशेष ध्यान देना होगा। फडणवीस सरकार के पिछले कार्यकाल में जलयुक्त शिविर योजना सफल रही थी, जिसका विस्तार इस बार किया जा सकता है।

Devendra Fadnavis

मंत्रिमंडल का विस्तार और आगे की रणनीति

शपथ ग्रहण के बाद Devendra Fadnavis, शिंदे और अजित पवार ने मंत्रालय पहुंचकर पहली कैबिनेट बैठक की। बैठक में पुणे के एक मरीज को मुख्यमंत्री चिकित्सा राहत कोष से 5 लाख रुपये की मदद देने का निर्णय लिया गया। हालांकि अभी मंत्रियों ने शपथ नहीं ली है। महायुति के बीच 6-1 फॉर्मूला तय हुआ है, जिसमें भाजपा को 20-22, शिवसेना (शिंदे) को 12 और एनसीपी (अजित पवार) को 9-10 मंत्री पद मिल सकते हैं।

Devendra Fadnavis की तीसरी पारी जहां राजनीतिक स्थिरता का प्रतीक मानी जा रही है, वहीं चुनौतियां भी कम नहीं हैं। आर्थिक संकट, मराठा आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं का संतुलन बनाना उनकी सबसे बड़ी परीक्षा होगी। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई सरकार जनता की उम्मीदों पर कितना खरी उतरती है और महाराष्ट्र को विकास के नए आयाम तक ले जाती है।

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2 thoughts on “Devendra Fadnavis बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री: तीसरी बार सीएम बनने के साथ नई चुनौतियां सामने”

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