Muharram 2025: इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम न सिर्फ एक नए साल की शुरुआत करता है, बल्कि यह महीना इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र चार महीनों में से एक भी माना जाता है। भारत समेत पूरी दुनिया में मुसलमान इस महीने को बेहद आदर और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
वर्ष 2025 में भी मुहर्रम को लेकर उत्सुकता बनी हुई है, लेकिन एक सवाल जो सबसे ज्यादा चर्चा में है, वह यह कि मुहर्रम 6 जुलाई को मनाया जाएगा या 7 जुलाई को? आइए विस्तार से जानते हैं कि यह असमंजस क्यों है और इस महीने का इस्लाम में क्या महत्व है।
Muharram 2025 की तारीख – चांद दिखने पर निर्भर
इस्लामी महीनों की गणना चांद के अनुसार होती है, इसलिए हर साल मुहर्रम की तारीख बदलती रहती है। साल 2025 में सरकारी छुट्टियों की सूची के अनुसार 6 जुलाई (रविवार) को मुहर्रम घोषित किया गया है। हालांकि, अंतिम पुष्टि चांद देखने के बाद ही की जाएगी।

अगर 5 जुलाई को नया चांद दिखाई देता है, तो मुहर्रम 6 जुलाई को मनाया जाएगा। लेकिन यदि चांद नहीं दिखता है, तो इस्लामी नया साल 7 जुलाई से शुरू होगा और मुहर्रम की तारीख एक दिन आगे खिसक जाएगी।
ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि लोग स्थानीय चांद दिखने की घोषणा के आधार पर ही मुहर्रम की वास्तविक तारीख की पुष्टि करें।
भारत में मुहर्रम की सार्वजनिक छुट्टी
भारत में मुहर्रम एक राष्ट्रीय सार्वजनिक अवकाश होता है। इस दिन कई राज्यों में सरकारी दफ्तर, बैंक, स्कूल और निजी संस्थान बंद रहते हैं। साथ ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) जैसे वित्तीय संस्थान भी बंद रहते हैं।
हालांकि, यदि चांद की वजह से मुहर्रम की तारीख बदल जाती है, तो छुट्टी की तारीख में भी बदलाव हो सकता है। यही वजह है कि हर साल इस दिन को लेकर लोगों में थोड़ी असमंजस की स्थिति बनी रहती है।
पिछले वर्षों में क्यों हुआ था भ्रम?
पिछले कई वर्षों में देखा गया है कि मुहर्रम की तारीख अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दिन मनाई गई, क्योंकि चांद की स्थिति हर क्षेत्र में एक जैसी नहीं होती। जैसे – बिहार और उत्तर प्रदेश में यदि चांद एक दिन पहले दिखे, तो वहीं महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में यह एक दिन बाद दिखाई दे सकता है।
इससे लोगों के बीच छुट्टी और धार्मिक कार्यक्रमों की तारीखों को लेकर असमंजस हो सकता है। 2025 में भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, इसलिए स्थानीय धार्मिक बोर्ड या सरकारी घोषणा पर ही अंतिम निर्णय लें।
इस्लाम में मुहर्रम का महत्व
‘मुहर्रम’ शब्द का अर्थ होता है – वर्जित या पवित्र। इस महीने को इस्लाम में अत्यधिक आदरणीय माना गया है, क्योंकि यह चार पवित्र महीनों में शामिल है, जिनमें युद्ध और हिंसा वर्जित माने गए हैं।
मुहर्रम को “अल्लाह का महीना” भी कहा जाता है, जो इसे और भी विशेष बनाता है। इस्लामी इतिहास में यह महीना कई महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा है:
- हिजरत (Migration) – मुहर्रम के महीने में ही पैगंबर मुहम्मद (PBUH) मक्का से मदीना की ओर हिजरत (प्रवासन) कर गए थे। यहीं से इस्लामी कैलेंडर की शुरुआत मानी जाती है (622 CE से)।
- करबला की घटना – मुहर्रम के 10वें दिन यानी आशूरा को इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत हुई थी, जिन्होंने सत्य और न्याय के लिए अपना बलिदान दिया। इस घटना ने इस्लामी इतिहास में अमिट छाप छोड़ी है।
- इस महीने में इबादत और दुआएं करने का विशेष महत्व होता है। मुस्लिम समुदाय के लोग रोज़ा रखते हैं, नमाज़ पढ़ते हैं और समाज सेवा के कार्यों में हिस्सा लेते हैं।
2025 में कैसे तैयार रहें?
जैसे-जैसे जुलाई 2025 नजदीक आएगा, लोगों को सलाह दी जाती है कि वे मून साइटिंग से जुड़ी खबरों पर ध्यान दें। धार्मिक समितियों द्वारा जैसे ही चांद दिखने की पुष्टि होगी, मुहर्रम की तारीख तय हो जाएगी।
सरकारी दफ्तरों, स्कूलों और अन्य संस्थानों में काम करने वाले लोगों को भी अंतिम छुट्टी की तारीख जानने के लिए स्थानीय प्रशासनिक अधिसूचनाओं का इंतजार करना चाहिए।
मुहर्रम न सिर्फ एक नई शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, बलिदान और संयम का महीना भी है। 2025 में इसकी तारीख 6 या 7 जुलाई के बीच तय होगी, जो चंद्र दर्शन पर निर्भर होगी।
इस शुभ अवसर पर भारतभर में छुट्टियां रहेंगी और धार्मिक आयोजन किए जाएंगे। चाहे तारीख कोई भी हो, इस दिन को श्रद्धा और शांतिपूर्वक मनाना हर नागरिक का कर्तव्य है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी चंद्र दर्शन और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। अंतिम तारीख की पुष्टि स्थानीय इस्लामिक अथॉरिटीज और सरकारी अधिसूचनाओं से ही करें।
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