ONOS वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन योजना। इस पर अगले 3 वर्षों में 6000 करोड़ रुपए होंगे खर्च।

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ONOS “वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन”  योजना

यह योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य देश के छात्रों और शोधकर्ताओं को विश्वस्तरीय शैक्षणिक और शोध सामग्री तक आसान और सस्ती पहुंच प्रदान करना है।

ONOS योजना के तहत, उच्च गुणवत्ता वाली शोध पत्रिकाओं, ई-बुक्स, और अन्य शैक्षणिक सामग्री का उपयोग करने के लिए छात्रों और शोधकर्ताओं को व्यक्तिगत सब्सक्रिप्शन लेने की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार सभी प्रमुख प्रकाशनों और संसाधनों का एक राष्ट्रीय स्तर पर सब्सक्रिप्शन लेगी और इसे भारत के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों और शोधकर्ताओं के लिए मुफ्त में उपलब्ध कराएगी।

ONOS वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन एक प्रस्तावित सरकारी योजना है, जिसका उद्देश्य भारत में शिक्षा, अनुसंधान, और नवाचार को बढ़ावा देना है। ONOS तहत पूरे देश के छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को वैज्ञानिक और शैक्षिक सामग्री (जैसे शोध पत्र, ई-बुक्स, जर्नल्स आदि) तक एक ही सब्सक्रिप्शन के माध्यम से पहुंच प्रदान की जाएगी।

ONOS योजना का उद्देश्य:

1. शैक्षिक समानता: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शैक्षणिक संसाधनों की समान उपलब्धता।

2. लागत में कमी: महंगे जर्नल्स और शैक्षिक सामग्री को सभी के लिए सस्ता और सुलभ बनाना।

3. अनुसंधान को बढ़ावा: शोधकर्ताओं को विश्वस्तरीय संसाधनों तक पहुंच देकर अनुसंधान की गुणवत्ता सुधारना।

4. डिजिटल भारत को समर्थन: भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर करना।

ONOS योजना कैसे काम करेगा?

सरकार सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रकाशकों के साथ एक केंद्रीय समझौता करेगी।

इसके माध्यम से सभी संस्थान, कॉलेज और विश्वविद्यालय एक ही लाइसेंस के तहत इन संसाधनों का उपयोग कर सकेंगे।

यह योजना डिजिटल माध्यम से मुफ्त या बहुत ही कम शुल्क पर सामग्री उपलब्ध कराएगी।

ONOS के लाभ:

ONOS ashwani vaishnav

‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ (ONOS) योजना का लाभ कैसे मिलेगा?

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि सरकार साल 2025 से 2027 तक ‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ (ONOS) योजना पर 6,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके तहत उच्च शिक्षा विभाग एक विशेष पोर्टल बनाएगा, जिससे लोग शोध पत्रिकाओं (रिसर्च जर्नल्स) को ऑनलाइन एक्सेस कर सकेंगे।

इस योजना के उपयोग और भारतीय लेखकों द्वारा किए गए शोध कार्यों की निगरानी राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) करेगा। पूरी प्रक्रिया को डिजिटल और यूजर्स के लिए आसान बनाया जाएगा।

1. सभी के लिए समान अवसर: आर्थिक और भौगोलिक सीमाओं के बावजूद सभी को उच्च गुणवत्ता वाले संसाधनों तक पहुंच।

2. शोध कार्य में वृद्धि: शोधकर्ताओं के लिए महंगे जर्नल्स की बाधा खत्म होगी।

3. कॉपीराइट समस्याओं का समाधान: सभी सामग्री लाइसेंस प्राप्त होगी।

कौन ले सकेगा योजना का लाभ?

इस योजना का लाभ केंद्र और राज्य सरकार के उच्च शिक्षण संस्थान, और केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास संस्थान उठा सकेंगे।
यूजर्स यूजीसी (UGC) के तहत INFLIBNET नेटवर्क के जरिए इस सुविधा का इस्तेमाल कर पाएंगे।

इस योजना से 6,300 से अधिक संस्थानों के करीब 1.8 करोड़ छात्र, शिक्षक और शोधकर्ता अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं और लेखों को एक क्लिक कर पढ़ सकेंगे।

चुनौतियाँ:

1. सभी सामग्री के लिए प्रकाशकों के साथ समझौते करना जटिल और महंगा हो सकता है।

2. भारत जैसे बड़े और विविध देश में इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

वर्तमान स्थिति:

सरकार इस योजना को लागू करने की दिशा में काम कर रही है। राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया (NDLI) जैसे प्रयास इसका आधार तैयार कर सकते हैं।

इस योजना के सफल होने पर, भारत में शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आ सकता है।

 

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