Trump T1 स्मार्टफोन लॉन्च: एपल को टक्कर देने की तैयारी, मेड इन USA डिवाइस और नया मोबाइल नेटवर्क

Trump T1

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 16 जून को तकनीकी दुनिया में बड़ा कदम उठाते हुए अपनी नई मोबाइल ब्रांड और नेटवर्क सर्विस ‘ट्रंप मोबाइल’ लॉन्च की। ट्रंप ऑर्गनाइजेशन द्वारा शुरू की गई यह पहल T1 नामक एक मेड इन USA 5G स्मार्टफोन और एक सब्सक्रिप्शन नेटवर्क सर्विस के साथ आई है, जिसका उद्देश्य अमेरिकी ग्राहकों को सस्ता, सुरक्षित और देश में बना हुआ स्मार्टफोन देना है।

Trump T1 स्मार्टफोन की कीमत और फीचर्स

नई लॉन्चिंग के तहत T1 स्मार्टफोन की कीमत 499 डॉलर (करीब ₹42,900) रखी गई है। इसे ग्राहक 100 डॉलर में प्री-बुक कर सकते हैं, और इसकी बिक्री सितंबर 2025 से शुरू होगी। कंपनी का दावा है कि यह फोन पूरी तरह से अमेरिका में बनेगा और इसकी कस्टमर सपोर्ट टीम भी अमेरिकी नागरिकों की होगी।

Trump T1 मोबाइल को एक नई कंपनी T1 Mobile LLC द्वारा बनाया जाएगा, जिसे ट्रंप ऑर्गनाइजेशन ने ब्रांड नेम के लिए लाइसेंसिंग दी है। ट्रंप ऑर्गनाइजेशन खुद न तो फोन बनाएगी, न ही नेटवर्क सर्विस ऑपरेट करेगी।

‘द 47 प्लान’ – ट्रंप की खास मोबाइल सर्विस

Trump T1 स्मार्टफोन के साथ ट्रंप मोबाइल एक नेटवर्क सर्विस भी पेश कर रहा है, जिसका नाम है ‘The 47 Plan’। इसकी कीमत $47.45 यानी करीब ₹3,950 प्रति माह रखी गई है। इस प्लान में यूजर्स को अनलिमिटेड कॉलिंग, टेलीमेडिसिन सुविधाएं, और रोडसाइड असिस्टेंस जैसी सेवाएं मिलेंगी।

यह सर्विस एक मोबाइल वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर (MVNO) के रूप में काम करेगी, जो अमेरिका के तीन प्रमुख वायरलेस प्रोवाइडर्स से नेटवर्क कैपेसिटी खरीदेगी। इस नेटवर्क की सर्विस भी सितंबर 2025 से शुरू की जाएगी।

अमेरिकियों को अमेरिका में बनी चीजें चाहिए – ट्रंप

लॉन्चिंग इवेंट में ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने कहा कि उनका उद्देश्य है कि अमेरिका के नागरिकों को अच्छी कीमत पर भरोसेमंद और लोकल सर्विस मिले। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी अमेरिका में 250 सीटों वाला लाइव कस्टमर सपोर्ट सेंटर भी शुरू कर रही है, जो 24/7 काम करेगा और जिसमें ऑटोमेटेड बॉट नहीं बल्कि असली लोग जवाब देंगे।

एपल को खुली चुनौती, टैरिफ की धमकी

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ट्रंप का यह कदम केवल एक टेक्नोलॉजिकल बिजनेस विस्तार नहीं, बल्कि एक सीधा संदेश भी है – खासकर एपल जैसी कंपनियों को, जो अमेरिका के लिए प्रोडक्ट भारत जैसे देशों में बनवा रही हैं।

23 मई को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर एपल को चेतावनी दी थी कि अगर कंपनी अमेरिका में बिकने वाले iPhones का निर्माण भारत या किसी और देश में करती है, तो उन्हें 25% टैरिफ देना होगा

उन्होंने साफ कहा कि “आईफोन अमेरिका में बिकेंगे तो उन्हें यहीं बनाना होगा।” ट्रंप के मुताबिक, वे एपल CEO टिम कुक को पहले ही यह बात कह चुके हैं।

भारत से अमेरिकी बाजार के लिए रिकॉर्ड iPhone एक्सपोर्ट

ट्रंप के विरोध के बावजूद, एपल ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग पर ज़ोर बढ़ाया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च से मई 2025 के बीच भारत से अमेरिका को भेजे गए iPhones की कुल वैल्यू 3.2 बिलियन डॉलर (करीब ₹27,000 करोड़) रही है। अकेले मई में ₹8,600 करोड़ के iPhone अमेरिका एक्सपोर्ट किए गए।

2025 की पहली पांच महीनों में भारत से अमेरिका को कुल ₹37,000 करोड़ के iPhone भेजे गए हैं, जो 2024 के आंकड़ों से भी अधिक है। इसका मुख्य कारण है एपल की ‘चीन से हटकर भारत की ओर सप्लाई चेन शिफ्ट’ करने की रणनीति।

भारत एपल के लिए क्यों बना है मैन्युफैक्चरिंग हब?

भारत में आईफोन मैन्युफैक्चरिंग के पीछे कई कारण हैं:

  1. चीन पर निर्भरता घटाना: कोविड-19, ट्रेड वॉर और गियोपॉलिटिकल तनावों से सबक लेकर एपल अब अपने प्रोडक्शन को विविधता देने की कोशिश कर रही है।
  2. सरकारी प्रोत्साहन: भारत की PLI योजना और मेक इन इंडिया नीति कंपनियों को भारी इंसेंटिव देती है।
  3. बाजार में संभावना: भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन बाजारों में से एक है, और यहां लोकल प्रोडक्शन से लागत में भी कमी आती है।
  4. एक्सपोर्ट केंद्र: भारत से बनने वाले iPhones का 70% एक्सपोर्ट होता है। 2024 में भारत से iPhone एक्सपोर्ट का आंकड़ा 12.8 बिलियन डॉलर तक पहुंचा।
  5. स्किल्ड लेबर और नया इन्फ्रास्ट्रक्चर: टाटा और फॉक्सकॉन जैसे पार्टनर भारत में बड़े निवेश कर रहे हैं, जैसे कि कर्नाटक में ₹23,000 करोड़ का नया प्लांट।

Trump T1 Vs एपल: क्या ट्रंप मोबाइल ले पाएगा बढ़त?

Trump T1 स्मार्टफोन और ’47 प्लान’ की लॉन्चिंग ने अमेरिकी बाजार में हलचल मचा दी है। ट्रंप समर्थकों के बीच इसकी भारी लोकप्रियता बन सकती है, खासकर ‘Made in USA’ टैग और सस्ती कीमत के कारण। हालांकि, एपल जैसी कंपनियों को टक्कर देने के लिए ट्रंप मोबाइल को क्वालिटी, सॉफ्टवेयर सपोर्ट और यूजर एक्सपीरियंस जैसे मोर्चों पर भी खुद को साबित करना होगा।

फिलहाल, ट्रंप का यह कदम अमेरिका में टेक्नोलॉजी और राजनीति के एक नए युग की शुरुआत की ओर इशारा करता है।

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