क्या Nitish Kumar बदलेंगे पाला? बिहार की राजनीति में चर्चाओं का बाजार गर्म

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Nitish Kumar
बिहार की राजनीति एक बार फिर से हलचल में है, और इसका केंद्रबिंदु मुख्यमंत्री Nitish Kumar हैं। राजनीति में कहा जाता है कि कोई भी कदम बेवजह नहीं उठता, और इसके पीछे की वजह समय के साथ सामने आती है।

तेजस्वी यादव के साथ तस्वीर पर चर्चा

हाल ही में एक सरकारी कार्यक्रम में Nitish Kumar और तेजस्वी यादव की एक तस्वीर चर्चा का विषय बनी हुई है। इस तस्वीर में नीतीश कुमार तेजस्वी के कंधे पर हाथ रखे हुए मुस्कुरा रहे हैं, जबकि तेजस्वी हाथ जोड़े हुए झुके-से दिख रहे हैं। यह तस्वीर उस समय ली गई जब राज्यपाल ने शपथ ली। हालांकि यह तस्वीर सामान्य औपचारिकता का हिस्सा थी, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसके अनौपचारिक मायने तलाशे जा रहे हैं। लेकिन राजनीति में अक्सर औपचारिकता के बीच अनौपचारिक संदेश छिपे होते हैं बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री Nitish Kumar को लेकर चर्चाओं का बाजार फिर से गर्म है। कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी संयोग नहीं होता। नीतीश कुमार के राजनीतिक कदम अक्सर संकेतों में दिखाई देते हैं, जो पहले सामान्य लगते हैं लेकिन समय के साथ उनकी गहरी राजनीतिक रणनीति उजागर हो जाती है।

Nitish Kumar
एक सरकारी कार्यक्रम में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की साझा तस्वीर ने अटकलों को हवा दी है। इस तस्वीर में नीतीश तेजस्वी के कंधे पर हाथ रखे हुए मुस्कुरा रहे हैं, जबकि तेजस्वी भी झुककर हाथ जोड़कर मुस्कान बिखेरते नजर आ रहे हैं।

लालू यादव का बयान और बढ़ी हलचल

इस तस्वीर से पहले, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख ने यह बयान दिया था कि Nitish Kumar के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं। बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और इस तस्वीर ने राजनीतिक अटकलों को जन्म दिया है। Nitish Kumar की हालिया चुप्पी ने इन अटकलों को और तेज कर दिया है। साथ ही, एक बयान जिसमें कहा गया कि नीतीश कुमार के लिए “दरवाजे खुले हैं,” ने सियासी चर्चाओं को और हवा दी।इसके बाद बिहार की राजनीति में चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया। लालू यादव का यह बयान, विधानसभा चुनावों से पहले, कई राजनीतिक संकेतों की ओर इशारा करता है।

Nitish Kumar
Nitish Kumar with Lalu Yadav

एनडीए में मतभेद के संकेत?

हालिया घटनाओं में, बीजेपी नेताओं द्वारा बार-बार बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा जताई गई है। ऐसे बयानों के बीच Nitish Kumar की चुप्पी और भी रहस्यमयी बन गई है। नीतीश की पार्टी के कुछ नेताओं ने एनडीए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर अक्सर अप्रत्याशित मोड़ लेता है।

बीजेपी और क्षेत्रीय दलों के समीकरण

बिहार में बीजेपी के सहयोगी दल आमतौर पर सेक्युलर राजनीति का समर्थन करते हैं। इन दलों के साथ बीजेपी का गठबंधन हमेशा एक नाजुक संतुलन पर टिका रहा है। विधानसभा चुनाव के समीप आते ही बीजेपी राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है, लेकिन इसके लिए Nitish Kumar जैसे नेता को कमजोर करना आसान नहीं है।

Nitish Kumar की रणनीति और राजनीतिक गणित

राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि Nitish Kumar अपने कदम बेहद सोच-समझकर उठाते हैं। वे बीजेपी के साथ होने के बावजूद आरजेडी के साथ विकल्प खुले रखने के संकेत देते रहते हैं। अगर उन्हें कभी सत्ता किसी और को सौंपनी पड़ी, तो उनके लिए तेजस्वी यादव एक स्वाभाविक विकल्प हो सकते हैं।

Nitish Kumar के चुप्पी के मायने

Nitish Kumar अपनी चुप्पी से अक्सर सियासी रहस्य बनाए रखते हैं। यह चुप्पी उनके लिए राजनीतिक दबाव बनाने का माध्यम बन जाती है। वर्तमान में भी, वे अपनी महिला सम्मान यात्रा स्थगित कर चुके हैं और अपनी प्रगति यात्रा के दौरान जनता के बीच जाने की रणनीति अपनाए हुए हैं।

बिहार की राजनीति का भविष्य

आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। नीतीश कुमार जिस गठबंधन का हिस्सा होते हैं, उसकी ताकत बढ़ जाती है। उनका राजनीतिक अनुभव और अप्रत्याशित चालें उन्हें राज्य की राजनीति में एक मजबूत खिलाड़ी बनाए रखती हैं।

बिहार की राजनीति का यह अनिश्चित माहौल बताता है कि राज्य में सत्ता के समीकरण किसी भी समय बदल सकते हैं

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